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लेखनी प्रतियोगिता -09-Jun-2022माँ गंगा और हम

माँ गंगा और हम
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माँ गंगा का हम 
कितना मान सम्मान कर रहे हैं,
अपने पाप धोते हैं
साथ में कपड़ें भी धोते हैं,
गंदगी फैलाते हैं
प्रदूषण से माँ गंगा का
क्या खूबसूरत श्रृंगार करते हैं।
कितने भले लोग हैं हम
जो अपनी पतित पावनी
जीवनदायिनी माँ के आँचल को
मैला करते हैं और बेशर्मी से
उसी माँ का गुणगान करते हैं।
हे माँ ! हमें माफ करना
क्योंकि हम लाचार हैं
बेशर्मों के सरदार हैं,
आप तो जानती हैं
कि हम जिस थाली में खाते हैं
उसमें भी छेद करने को
हरदम तैयार रहते हैं।
◆ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा(उ.प्र.)
   8115285921
©मौलिक, स्वरचित,

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 05:41 PM

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

10-Jun-2022 04:14 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Abhinav ji

10-Jun-2022 01:10 AM

Nice

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